दिल्ली के बुराड़ी इलाके में केदारनाथ धाम की तरह भव्य मंदिर बनाया जाएगा। जहां भक्तों को 12 महीने बाबा के दर्शन हो सकेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को इसका शिलान्यास कर दिया है। दिल्ली में केदारनाथ जैसा मंदिर बनने से पहले ही विरोध होने लगा है। उत्तराखंड की चारधाम महापंचायत इसका विरोध में उतर आई है। उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित इसका विरोध कर रहे हैं। चारधाम से जुड़े पुरोहितों का कहना है कि राजधानी दिल्ली में केदारनाथ दिल्ली धाम के नाम से मंदिर स्थापना का वो कड़ा विरोध करते हैं। उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने कहा कि इस तरह से धाम के नाम पर मंदिरों की स्थापना से उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध धार्मों की गरिमा को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
महापंचायत की मांग है कि देश में इस तरह के जो भी मंदिर बन रहे हैं या बन चुके हैं उन्हें फौरन बंद किया जाना चाहिए। पुरोहित समाज ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। चार धाम तीर्थ महापंचायत के मीडिया प्रभारी रजनीकांत सेमवाल ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ दिल्ली धाम के नाम से मंदिर की स्थापना की गई है। जो केदारनाथ धाम के अस्तित्व और महत्व को कम करने का प्रयास है, जिसका चार धाम महापंचायत कड़ा विरोध करती है।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने इसके विरोध में पैठाणी में एक घंटे का मौन व्रत रखा। मंदिर निर्माण पर गरमाई सियासत के बीच श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने सफाई दी कि मंदिर का उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से कोई संबंध नहीं है। इस बीच पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि दिल्ली मे भगवान केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर को लेकर कांग्रेसियों की चिंता राजनीति से प्रेरित है या उन्हें सनातन या पौराणिक समझ कम है। दिल्ली अथवा कहीं भी प्रतीकात्मक मंदिर बनने से किसी भी ज्योतिर्लिंग का महत्व कम नहीं होता। पुराणों मे 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख है और किसी प्रतीकात्मक मंदिर के बनने से कुछ भी बदलाव असंभव है।