Uttarakhand

कांग्रेस में कलह… चुनावों में हरीश रावत ने टिकट के नाम पर बड़ी रकम जुटाई… बोले रणजीत रावत

उत्तराखंड कांग्रेस को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष की कमान संभाल रहे हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भले ही अपने ऊपर ली है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत तमाम दूसरे नेता अब चुनाव प्रबंधन से लेकर टिकटों के वितरण तक में कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं। जैसा कि अंदेशा जताया जा रहा था चुनाव परिणामों के दो दिन बाद ही पार्टी के भीतर मची अंतर्कलह अब सतह पर आने लगी है। पार्टी नेताओं ने हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ना शुरू कर दिया है।

वहीँ अब दो कदम आगे बढ़ते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत के कभी करीबी रहे कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने हरीश पर विधानसभा चुनाव में टिकट के नाम पर बड़ी रकम इकट्ठा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हरीश की वजह से ही कांग्रेस रामनगर, सल्ट और लालकुआं सीट हारी। रणजीत ने यह भी आरोप लगाया कि टिकट दिलाने को लेकर हरीश ने लोगों से रुपये लिए। टिकट नहीं मिलने पर कइयों के रुपये हरीश रावत के मैनेजर वापस कर चुके हैं, जबकि कुछ लोग अभी इनके चक्कर लगा रहे हैं।

रणजीत रावत ने कहा कि 2017 में हरीश रावत के कहने पर ही वह रामनगर से चुनाव लड़े थे। पांच साल की उनकी मेहनत के बाद हरीश रावत ने रामनगर से चुनाव लड़ने की मंशा जता दी। कहने लगे कि तुम सल्ट चले जाओ। मैंने कहा कि मैं फुटबॉल नहीं हूं। पहले आपने कहा कि रामनगर चले जाओ, अब कह रहे हो सल्ट चले जाओ। साथियों के पार्टी का वास्ता देने की वजह से मैं सल्ट चला गया, लेकिन यह फैसला मेरी राजनीतिक भूल थी। मुझे रामनगर से ही चुनाव लड़ना चाहिए था।  रणजीत ने कहा कि हरीश रावत की मनोदशा अब भी ठीक नहीं है। उन्हें अब आराम की जरूरत है।

चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने पूर्व सीएम हरीश रावत का नाम लिए बगैर उन पर कई सवाल दागे हैं। उन्होंने कहा कि यह कहां का न्याय है, फसल कोई बोए, काटने कोई और चला आए। दरअसल रामनगर सीट से पिछले पांच सालों से रणजीत रावत तैयारी कर रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर उनका टिकट काट दिया गया और इस सीट से हरीश रावत को दावेदार घोषित कर दिया गया। इसे बाद बवाल हुआ तो हरीश को लालकुआं और रणजीत रावत को सल्ट भेज दिया गया। परिणाम सबके सामने हैं, दोनों चुनाव हार गए।

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