उत्तराखंड में तापमान बढ़ने से धधक रहे हैं जंगल… अब बारिश का ही सहारा
इस बार उत्तराखंड के जंगलों में पिछले वर्ष की तरह सर्दियों के मौसम में आग नहीं लगी। समय-समय पर हुई बारिश और बर्फबारी ने सर्दियों में तो जंगलों को आग से सुरक्षित रखा, लेकिन मार्च आते ही जिस तरह से अचानक मौसम बदला और न्यूनतम तापमान पिछले वर्षों के मुकाबले ज्यादा बढ़ गया, उसने आने वाले दिनों में राज्य के जंगलों को आग से बचाने की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। वन विभाग के मुताबिक्र चालू सीजन में आग लगने की पहली घटना 8 मार्च 2022 को अल्मोड़ा में हुई थी। उसके बाद से लगातार ऐसी घटनायें सामने आ रही हैं।
वन विभाग की टीमें अग्नि दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए जुटी हैं, लेकिन चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही। यह इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन मौसम शुष्क रहने की संभावना जताई है। यानी, पारा और उछाल भरेगा। ऐसे में सबकी नजरें आसमान पर गड़ी हैं कि कब इंद्रदेव मेहरबान हों और जंगलों में आग पर नियंत्रण हो। यह किसी से छिपा नहीं है कि 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में हर साल ही आग से वन संपदा को भारी क्षति पहुंचती है। पहले तो फायर सीजन यानी 15 फरवरी से मानसून आने की अवधि तक ही जंगल अधिक सुलगते थे, लेकिन अब यह अवधारणा टूटी है।
वर्ष 2020 में सर्दियों में ही जंगल धधक उठे थे। इसे देखते हुए तब सरकार ने पूरे वर्ष को फायर सीजन के रूप में घोषित कर दिया था। पिछले वर्ष सर्दियों में लगातार बारिश व बर्फबारी होने के कारण स्थिति नियंत्रण में रही, लेकिन अब जबकि मौसम के शुष्क होने के साथ ही पारा उछाल भरने लगा है तो इसी अनुपात में जंगल भी सुलगने लगे हैं। अगले कुछ दिन मौसम के शुष्क रहने के पूर्वानुमान के मद्देनजर वन विभाग की चिंता अधिक बढ़ गई है। यद्यपि, विभाग ने आग की दृष्टि से संवेदनशील स्थल चिह्नित किए हैं, लेकिन जिस तरह से पारा उछाल भर रहा है, उससे चुनौती अधिक बढ़ गई है।