Uttarakhand

पर्वतीय क्षेत्रों में जाम से निपटने को टनल पार्किंग… भारत का पहला राज्य बनेगा

उत्तराखंड में चारधाम समेत विभिन्न पर्यटक स्थलों पर वाहनों के उमड़ने से लग रहे जाम की समस्या से अब मुक्ति मिलेगी। पुष्कर सिंह धामी सरकार ने आटोमेटेड कार पार्किंग के लिए टनल या केविटी पार्किंग को स्वीकृति दे दी है। इनके निर्माण के लिए तीन कार्यदायी संस्थाएं चिह्नित की गई हैं। मंत्रिमंडल ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय प्रदेश में पर्यटन और आर्थिक विकास में बाधक भूस्खलन स्थलों के ठोस उपचार के संबंध में लिया। इस संबंध में गठित उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र से संबंधित नियमों को हरी झंडी दिखा दी गई है।

पार्किंग की समस्या का टनल से निजात पाने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। टनल पार्किंग के लिए प्रदेश में चार कार्यदायी संस्थाएं हैं लेकिन इसकी पर्यावरणीय चुनौतियां भी कम न होंगी। पर्यावरणविदों ने इसे महाविनाश का रास्ता करार दिया है। यह पार्किंग अभी तक देश में कहीं भी नहीं है। दावा है कि उत्तराखंड इस तरह का प्रयोग करनेे वाला देश का पहला राज्य होगा। प्रदेशभर में कुल करीब 180 पार्किंग स्थल चिन्ह्ति किए गए हैं, जिनमें टिहरी और पौड़ी जिले में पहले चरण में 12 टनल पार्किंग के स्थान चिन्ह्ति किए गए हैं। एनएचआईडीसीएल के अलावा अब टनल पार्किंग निर्माण के लिए कैबिनेट ने टीएचडीसी, यूजेवीएनएल और आरवीएनएल को कार्यदायी संस्था बना दिया है।

टनल पार्किंग के इस सपने को धरातल पर उतारने में सरकार के लिए कई चुनौतियां भी पेश आ सकती हैं। इनमें सबसे पहले चुनौती पर्यावरणीय स्वीकृति की है। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति के बाद ही काम शुरू हो सकेगा। ऐसी ही अनुमति की वजह से प्रदेश में कई जल विद्युत परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। दूसरी ओर, इन टनल के निर्माण के दौरान निकलने वाला मलबा भी बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है। हालांकि सरकार का तर्क है कि सभी नियमों का पालन करते हुए टनल निर्माण किए जाएंगे।

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