Uttarakhand

देवभूमि में विकराल रूप ले रहे जंगल: गढ़वाल से कुमाऊं तक रिकॉर्ड 68 घटनाएं

उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. इन घटनाओं ने राज्य सरकार को चिंता में डाल दिया है. यूं तो राज्य के वनों में हर साल इस मौसम में आग की घटनाएं देखी जाती हैं, लेकिन इस बार आग पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि राज्य सरकार हेलिकॉप्टर के जरिए भी आग बुझाने में लगी है. वन महकमें द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटों में वनाग्नि की रिकॉर्ड 68 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें गढ़वाल क्षेत्र के आरक्षित वन में 12, सिविल वन पंचायत में 32 घटनाओं को मिलाकर 44 घटनाएं सामने आई हैं.

वहीं कुमाउं क्षेत्र के आरक्षित वन में 15 और सिविल वन पंचायत में दो घटानाओं को मिलाकर कुल सात घटनाएं घटित हुई हैं, जबकि वन्यजीव क्षेत्र में बीते 24 घंटे के अर्न्तगत सात वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं. बीते 24 घंटे में 3 लाख 78 हजार 352 रुपए की कुल आर्थिक क्षति हुई है. प्रदेश भर में इस फायर सीजन में अभी तक रिकॉर्ड 721 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि 20 लाख 56 हजार 989 रुपए की भारी छति वन विभाग को पंहुची है.

अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के मुताबिक जंगल में आग लगाने के आरोप में 21 अन्य लोगों को नामजद किया गया है। अपर प्रमुख वन संरक्षक के मुताबिक जंगल की आग की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर जाकर आग बुझाने का प्रयास कर रही है। इस काम में एसडीआरएफ और फायर सर्विस की भी मदद ली जा रही है, जबकि नैनीताल वन प्रभाग में एनडीआरएफ को तैनात किया गया है।

कुमाऊं मंडल में भी वनों में आग लगने से खासा नुकसान हुआ है. हालांकि कुमाऊं के बागेश्वर जिले में अभी हालात नियंत्रण में हैं. बागेश्वर की जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने बताया कि वनों में आग की 12 से 13 घटनाएं हुई हैं. तकरीबन 16 हेक्टेयर जंगल इसकी चपेटे आए हैं. डीएम ने बताया कि पिछले दो दिनों से जिले में वनों में आग की कोई घटना की सूचना नहीं है और यहां स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है.

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