Uttarakhand

उत्तरकाशी टनल हादसा: पाइप से ऑक्सीजन, पानी और खाना, जारी है जिंदगी बचाने की जंग

उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान दूसरे दिन भी जारी है। सुरंग के अंदर 40 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं। मजूदरों को फंसे हुए 30 घंटे से अधिक का समय बीत गया है। मजदूर सुरक्षित हैं, उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। बचाव दलों ने 25 मीटर से ज्यादा मलबा हटा लिया गया है। अभी करीब 25 मीटर से ज्यादा मलबा और साफ करना होगा। उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और पुलिसकर्मी राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं। मलबा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीन जुटाई गई हैं। वॉकी-टॉकी के जरिए टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हो गया है।

निर्माणाधीन सुरंग में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइप लाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही इसी पाइप लाइन से कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक खाना और पानी भेजा गया है। निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हादसे के बाद मौके पर पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सुरंग के अंदर भूस्खलन का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सुरंग के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं जिन्हें पाइपलाइन के जरिए खाना, पानी और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। बताया कि देहरादून से बोरिंग के लिए ऑगर मशीन मंगवाई गई है जिससे बोरिंग कर ढाई फीट व्यास का पाइप डाला जाएगा जिससे सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस काम में एक से दो दिन का समय लग सकता है।

सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों से पाइप और वॉकी-टॉकी से बात करने वाले झारखंड निवासी एवं नवयुव इंजीनियरिंग कंपनी के श्रमिक सुदीप मंडल ने कहा कि मैंने सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों से पाइप के जरिये बात की है। फंसे श्रमिकों की आवाज सुनकर एक उम्मीद जगी है। जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला के निर्देश पर सुरंग के पास एक अस्थायी अस्पताल बनाया गया, जिसमें छह बेड का अस्पताल स्थापित किया गया। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरसीएस पंवार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से घटनास्थल पर छह बेड का अस्थायी अस्पताल स्थापित किया गया। मौके पर चौबीसों घंटे मेडिकल टीमों सहित 10 एम्बुलेंस को तैनात किया गया है।

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