लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार पांच कमल खिलाने वाले उत्तराखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देकर बड़ा तोहफा दिया है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते अनुभवी अजय टम्टा मोदी कैबिनेट में हिस्सा बने हैं। उन्होंने राज्यमंत्री पद की शपथ ली। बता दें कि 2014 में जब टम्टा पहली बार निचले सदन के लिए चुने गए थे, तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में कपड़ा राज्यमंत्री बनाया गया था।

केंद्र में मंत्री बनाए जाने की सबसे अधिक संभावनाएं गढ़वाल संसदीय सीट से चुने गए अनिल बलूनी की थी। रक्षा राज्यमंत्री राजनाथ सिंह ने तो चुनाव प्रचार में उन्हें मंत्री बनाने के संकेत भी दिए थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने कैबिनेट के लिए टम्टा को चुना। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, टम्टा को क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का लाभ मिला। भाजपा की राजनीतिक सत्ता में दलित वर्ग के प्रभावी प्रतिनिधित्व का जो खालीपन नजर आ रहा था, नेतृत्व ने उसे भरने की कोशिश की है। जानकारों के मुताबिक, टम्टा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नजदीकी का भी लाभ मिला। धामी भी टम्टा के संसदीय क्षेत्र की चंपावत विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुख्यमंत्री को चार दिन पहले ही नई दिल्ली बुला लिया गया था। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे फीडबैक जरूर लिया होगा। टम्टा का नाम तय होने से साफ है कि मुख्यमंत्री की राय को तरजीह मिली।

वर्तमान में कुमाऊं क्षेत्र से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं और क्षत्रिय हैं। उनके मंत्रिमंडल में कुमाऊं से दो कैबिनेट मंत्री हैं। गढ़वाल से भाजपा की कमान ब्राह्मण चेहरे महेंद्र भट्ट के हाथों में हैं। भट्ट अब राज्यसभा सदस्य भी हैं। ओबीसी का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सदस्य कल्पना सैनी और वैश्य समाज का राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल करते हैं। दोनों ही सांसद गढ़वाल मंडल से हैं। धामी मंत्रिमंडल में सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत गढ़वाल मंडल का प्रतिनिधित्व करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण भी गढ़वाल से ही हैं। इस लिहाज से केंद्रीय नेतृत्व ने कुमाऊं मंडल के दलित चेहरे को मौका दिया।

अल्मोड़ा संसदीय सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले अजट टम्टा चौथे नेता बने हैं। इससे पहले यह रिकार्ड कांग्रेस के जंग बहादुर बिष्ट, पूर्व सीएम हरीश रावत और भाजपा के बची सिंह रावत के नाम दर्ज था। लोकसभा चुनाव में अजय की लगातार तीसरी जीत ने उनका कद बढ़ाने का काम किया है और वह एक कुशल राजनीतिज्ञ की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए अजय टम्टा ने 23 वर्ष की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में उन्होंने नौ बार चुनाव लड़ा और छह में जीत दर्ज कर अपने को राजनीति में स्थापित किया। वर्ष 1996 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। इसी वर्ष वह जिला पंचायत उपाध्यक्ष चुने गए।