Uttarakhand

उत्तराखंड में कोरोना के नए मामले तीन सौ के पार… क्या चुनावी रैलियों पर नहीं लगनी चाहिए रोक!

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के लिहाज से स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। या फिर ये कहा जा सकता है कि जिस तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी, वह अब दस्तक दे चुकी है। बीते दिन राज्य में कोरोना के 310 नए मामले मिले हैं। इससे पहले बीते वर्ष 16 जून को 353 लोग संक्रमित मिले थे। उसके बाद यह एक दिन में संक्रमितों की सर्वाधिक आंकड़ा है। चिंता इस बात की है कि कोरोना का प्रसार अब अत्याधिक तेज गति से हो रहा है।

सात दिन पहले और अब की तुलनात्मक स्थिति देखें तो कोरोना संक्रमितों का दैनिक आंकड़ा आठ गुना बढ़ गया है। इधर, मंगलवार को एक मरीज की मौत भी हुई। वहीं 111 मरीज स्वस्थ हुए हैं। सोमवार को देहरादून में 71, पौड़ी में 44, यूएस नगर में 22, नैनीताल में 18, हरिद्वार में 12, अल्मोड़ा में नौ, चमोली, चम्पावत, उत्तरकाशी में एक एक जबकि पिथौरागढ़ में छह और टिहरी में चार नए मरीज मिले हैं। राज्य में बीते चार सप्ताह से संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा है। इसके बावजूद सरकार ने संक्रमण की रोकथाम के लिए अभी तक सख्त कदम नहीं उठाए हैं। माना जा रहा है कि राज्य में चुनावी तैयारियों के मद्देनजर सरकार सख्त कदम उठाने से बच रही है।

जानकारों का मानना है कि यदि संक्रमण इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो आने वाले कुछ सप्ताह में ही उत्तराखंड में एक्टिव मरीजों की संख्या हजारों में पहुंच जाएगी। इससे अस्पतालों में दबाव और लोगों की मुसीबतें बढ़ेंगी। ऐसे में विशेषज्ञ संक्रमण को रोकने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं। खासकर भीड़भाड़ को नियंत्रित करने की जरूरत बताई जा रही है। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते सत्तारूढ़ दल भाजपा समेत सभी सियासी पार्टियां अपनी राजनीतिक गतिविधियों में जुटी हुई हैं। प्रदेशभर में हो रहे राजनीतिक आयोजनों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इस आयोजनों के दौरान कई मौकों पर कोरोना नियमों की अनदेखी हो रही है। सभा, जुलूस और रैली में न तो सामाजिक दूरी का ख्याल रखा जा रहा है और न ही सभी मास्क लगा रहे हैं। कोरोना को लेकर थोड़े और सख्त कदम उठाए गए तो इस से सियासी कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाएंगे। इसके चलते सरकार सख्त कदम उठाने से बच रही है।

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