Uttarakhand

चमोली आपदा: दो चचेरे भाइयों की बहादुरी को सलाम, दूसरों की जान बचाकर खुद सैलाब में बह गए

ऋषिगंगा की आपदा के दौरान दूसरों की जान बचाने में जुटे दो चचेरे भाई सैलाब में बहकर लापता हैं। तपोवन विष्णुगाड परियोजना के बैराज पर काम कर रहे अनूप और राजेश ने जब सैलाब आते देखा तो शोर मचाने लगे, जिस पर कई श्रमिकों ने भागकर जान बचा ली। यहां तक कि बैराज के ठीक सामने स्थित उनके घर से स्वजन भी शोर मचाकर उन्हें भागने को कहते रहे, लेकिन जब तक दोनों भाई भाग पाते सैलाब ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया। सात फरवरी को ऋषिगंगा में आए सैलाब ने कई परिवारों को जिंदगी भर का जख्म दे दिया। ढाक गांव के दो चचेरे भाइयों के परिवार का हाल भी जुदा नहीं है। आपदा के दिन दोनों भाई अनूप और राजेश थपलियाल तपोवन परियोजना के बैराज में कंक्रीटिंग का काम करा रहे थे।

दोनों एनटीपीसी के लिए काम करने वाली कंपनी ऋत्विक में बतौर सीनियर सुपरवाइजर तैनात थे। आपदा के चश्मदीद ढाक गांव निवासी संदीप कुमार और विक्रम सिंह बताते हैं, उस दिन वो बैराज साइट पर काम कर रहे थे, उन्होंने अनूप और राजेश के चिल्लाने पर ही भागकर जान बचाई। वहीं, भंग्यूल गांव के संदीप सिंह कहते हैं, वो भी दोनों चचेरे भाइयों की वजह से ही जिंदा हैं, लेकिन अफसोस दोनों की अब तक कोई खबर नहीं मिली है। राजेश के भाई रविंद्र थपलियाल बताते हैं, ढाक गांव ऋषिगंगा नदी के पार तपोवन बैराज साइट से लगा हुआ है। जब सैलाब की तेज गड़गड़ाहट सुनाई दी तो घर के सभी लोग बाहर आ गए। उन्होंने साइट पर काम कर रहे दोनों भाइयों को भागने के लिए कहा तो वो खुद बचने की बजाय दूसरों को भागने के लिए कहने लगे। डबडबाई आंखों से रविंद्र कहते हैं, दोनों के पास अपनी जान बचाने का पूरा समय था, लेकिन हमारी आंखों के सामने ही वो ऋषिगंगा में समा गए।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button