Uttarakhand

उत्तराखंड में आफत की बारिश: अब तक 42 लोगों की मौत, 7 घायल जानिये और भी सभी बातें

पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और दक्षिणी-पूर्वी हवाओं के गठजोड़ के चलते मौसम के बदले मिजाज ने पहाड़ से लेकर मैदान तक ना सिर्फ मूसलाधार बारिश हुई और भारी तबाही हुई, वरन मूसलाधार बारिश ने 100 साल से अधिक पुराने कई रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार कुमाऊं क्षेत्र के मुक्तेश्वर में 107 साल पहले 18 सितंबर 1914 को हुई 254.5 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड टूट गया। पिछले 24 घंटे में मुक्तेश्वर में 340.8 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। चंपावत में जहां 580 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई वहीं नैनीताल में 530, ज्योलीकोट में 490 मिमी, भीमताल में 400 मिमी, हल्द्वानी में 300 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।

उत्तराखंड के कुमाऊं में सोमवार और मंगलवार को बेमौसम बादल काल बनकर बरसे। भूस्खलन, मकान ढहने, पानी में करंट आदि कारणों से 42 लोगों की मौत हो गई, जबकि कुछ लोग लापता हैं। नैनीताल में 29, अल्मोड़ा में 6, चंपावत में 4, पिथौरागढ़, बागेश्वर और ऊधमसिंह नगर में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई। आधिकारिक आंकड़ों में मृतकों की संख्या हालांकि 35 बताई गई है। प्रदेश में दो दिनों की बारिश से आई आपदा में मृतकों की कुल संख्या 42 पहुंच गई है। उधर, गढ़वाल में मंगलवार को किसी की मौत की खबर नहीं है। सोमवार को यहां तीन मौतों की सूचना थी। गढ़वाल में मौसम साफ होने से बंद मार्गों को खोलकर चारधाम यात्रियों व अन्य फंसे लोगों को निकालने का काम दिन भर चलता रहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण लोगों की मौत होने पर मंगलवार को दुख जताया और कहा कि प्रभावित लोगों का सहयोग करने के लिए बचाव कार्य जारी है। मोदी ने ट्वीट किया कि उत्तराखंड के कई हिस्से में भारी बारिश के कारण लोगों के मरने की खबरों से मैं दुखी हूं। घायल लोगों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। बचाव कार्य जारी हैं ताकि प्रभावित लोगों की मदद की जा सके। मैं हर किसी की सुरक्षा और कल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। इससे पहले दिन में, मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की और मूसलाधार बारिश से प्रभावित राज्य की स्थिति के संबंध में जानकारी हासिल की। मोदी ने केन्द्रीय मंत्री अजय भट्ट से भी इस संबंध में बात की।

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