Uttarakhand

पुष्कर धामी को फिर से कमान देंगे तो तैर रहे ये सवाल… अब कैसे निकलेगा हल

उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से शिष्टाचार भेंट की। उनके साथ राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी भी थे। शाह से भेंट करने से पहले धामी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष से भी मिले। इस दौरान उत्तराखंड के विषय में हुई बैठक में चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा हुई। हालांकि सबकी निगाहें सीएम के चेहरे को लेकर केंद्रीय नेतृत्व पर लगी हैं।

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर पार्टी सत्ता में तो पहुंच गई, लेकिन धामी खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए। अब पार्टी के भीतर धामी पर सहमति बनाने को लेकर कशमकश चल रही है। विरोधी खेमा धामी को किसी भी सूरत में फिर से सीएम बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। उनका तर्क है कि धामी को फिर से सीएम बनाया गया तो सवाल उठेगा कि 2017 में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत हुई थी, लेकिन सीएम पद के प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे। इसके बाद धूमल को क्यों सीएम नहीं बनाया गया? जीते हुए विधायकों में से ही सीएम का चुनाव हुआ था।

वहीं धामी के समर्थकों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि धामी ने हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया है। हिमाचल और उत्तराखंड के हालात की तुलना नहीं की जा सकती है। यह भी एक तथ्य है कि 2014 में पंजाब से लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद अरुण जेटली को केंद्रीय वित्त मंत्री बनाया गया था। मंगलवार को धामी दिल्ली में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले, लेकिन क्या बात हुई, यह बाहर नहीं आई। बाद में धामी बलूनी से उनके आवास पर भी मिले। कहा जा रहा है कि उत्तराखंड के सीएम को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के स्तर पर होली के बाद ही अंतिम फैसला होगा।

केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्‌ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का नाम भी सीएम पद की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि, इनमें से किसी एक को सीएम बनाने की स्थिति में एक नहीं, बल्कि दो उपचुनाव कराने पड़ेंगे। भट्‌ट को सीएम बनाने के लिए किसी विधायक से इस्तीफा दिलाना पड़ेगा और भट्‌ट को उपचुनाव लड़वाना पड़ेगा, जबकि उन्हें लोकसभा से खुद इस्तीफा देना पड़ेगा। इसलिए लोकसभा की एक सीट पर अलग से उपचुनाव कराना पड़ेगा। इसी तरह बलूनी के लिए राज्यसभा का उपचुनाव कराना पड़ेगा। साथ ही उन्हें खुद भी विधानसभा के लिए चुनाव लड़ना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इससे बचना चाह रही है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button