Uttarakhand

चमोली आपदा: रैणी गांव की मंजू रावत दो घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही, जानिए दर्द भरी कहानी

ऋषि गंगा में आई जल प्रलय के दौरान रैणी गांव की मंजू रावत दो घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही। उस दौरान वह अपने घर के अंदर थी। इस जलजले में मंजू का घर तबाह हो गया।

मंजू बालबाल बची। 29 वर्षीय मंजू ने बताया कि घटना के समय उसकी मां गांव के समीप ही प्राकृतिक जलस्रोत पर पानी भरने गई थी। उस वक्त घर में मंजू के साथ उसकी दोस्त रजनी राणा व उसकी छह साल की बेटी प्रियंका थी।

सुबह करीब साढ़े नौ बजे जल प्रलय हुआ तो मंजू घर के कमरे में फंस गई, जबकि रजनी और प्रियंका बाहर भागने में कामयाब हो गए। देखते ही देखते मकान ध्वस्त हो गया। मंजू कमरे से बाहर नहीं आ सकी। वह छत में लगे लकड़ी के खंबों के नीचे बैठ गई।

उसके सिर और पांव में चोटें आई, करीब दो घंटे बाद यानि सुबह साढ़े ग्यारह बजे गांव के लोगों ने मंजू की ढूंढखोज की तो, उसके चिल्लाने पर लोगों ने पत्थर और लकड़ी को हटाकर मंजू को बाहर निकाला। मंजू का 6 कमरों का मकान पूरी तरह से खंडर बन गया है।

मां के अलावा मंजू का दुनिया में कोई नहीं है। उसके पिता की लंबे समय पहले मौत हो गई थी। मंजू का कहना है कि कमरे में फंसे रहने के दौरान वह भगवान को याद कर मन में यही सोचती रही, कोई तो मुझे बचाने आओ।

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