Uttarakhand

Uttarakhand: 22 साल का इंतजार खत्म, उत्तराखंड में चिन्हित आंदोलनकारियों को मिलेगा क्षैतिज आरक्षण का तोहफा

देहरादून: उत्तराखंड में चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों के लिए 22 सालों के इंतजार के बाद आखिरकार एक बड़ा सपना पूरा होने का संकेत मिला है। राज्य सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी प्राप्त करके चिन्हित आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की सुनहरी बात को हकीकत में बदल दिया है। यह निर्णय विधायिका सभी क्षैतिज आरक्षण कोटे से लगे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है। राज्य में चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों की संख्या करीब 13000 है और इनमें से कई लोग वर्षों से इस सुनहरे सपने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

राज्य सरकार की सराहना का प्रदेश में बड़ा महौल

यह निर्णय प्रदेश में चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके समर्थकों के बीच बड़े खुशी का कारण बना है। इसे प्रदेश में चिन्हित आंदोलनकारियों की सांघरिकता के प्रति सरकार की संवेदनाओं का परिचायक माना जा रहा है। इसके साथ ही, यह निर्णय चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत का संकेत भी है।

चिन्हित आंदोलनकारियों के लिए चार बड़े फायदे

1. नौकरी बहाल होगी: नैनीताल उच्च न्यायालय से आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने वाले शासनादेश के रद्द होने के बाद राज्य में इस व्यवस्था के तहत सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे करीब 1700 कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी।

2. करीब 300 अभ्यर्थियों की नौकरी: क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश रद्द होने के बाद करीब 300 ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनका आंदोलनकारी कोटे से लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ चयन आयोग से चयन हो चुका है, लेकिन नियम न होने की वजह से उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकी।

3. लटके परीक्षा परिणाम घोषित हो सकेंगे: कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनके प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम संस्थानों ने इसलिए जारी नहीं किए कि आरक्षण का शासनादेश रद हो गया था। 2004 से आरक्षण का लाभ मिलने से ऐसे अभ्यर्थियों के परिणाम जारी होने की उम्मीद है।

4. नौकरियों में आरक्षण का रास्ता खुलेगा: सबसे बड़ा फायदा राज्य के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को होगा, जो वर्षों से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रदेश में 13000 चिन्हित आंदोलनकारी होने के साथ ही, इस निर्णय से नए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा।

इस नई यात्रा के साथ, चिन्हित आंदोलनकारियों के सपनों का साकार होने की उम्मीद है, और उन्हें समर्थन और संवेदना का पूरा साथ मिल रहा है। यह निर्णय उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक विकास के पथ में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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