Uttarakhand

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज मुख्य अतिथि, सीएम धामी शहीदों को देंगे श्रद्धांजलि

उत्तराखंड राज्य की स्थापना को आज यानी 9 नवंबर को 23 साल पूरे हो गए. राज्य अब 24वें साल में प्रवेश कर गया है. इस अवसर पर होने वाले राज्यस्तरीय कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शिरकत करने वाली हैं. इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत देश कई नेताओं ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर लिखा, “24वें उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की आप समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. इस शुभ अवसर पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों एवं पृथक राज्य आन्दोलनकारियों को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं. जय हिन्द, जय उत्तराखंड.”

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर आज प्रदेशभर में अलग-अलग जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजित किए गए हैं। राजधानी देहरादून में पुलिस लाइन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिकरत करेंगी। वहीं ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण में आयोजित राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री धामी सबसे पहले देहरादून स्थित कचहरी परिसर में शहीद स्मारक पर राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद पुलिस लाइन में राज्य स्थापना दिवस पर रैतिक परेड में शामिल होंगे। गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेंगे।

पुलिस लाइन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिकरत करेंगी। इसके चलते यातायात पुलिस ने शहर में रूट डायवर्ट का प्लान जारी किया है। शहर में सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक भारी वाहनों को एंट्री नहीं दी जाएगी। देहरादून पुलिस ने अपील की है कि सभी वाहन चालक गुरुवार को इन मार्गों का प्रयोग कम से कम करें। असुविधा से बचने के लिए लिंक मार्गों का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही दुपहिया वाहनों का प्रयोग करें ।

आज 24वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। युवावस्था तक आते हुए प्रदेश ने कई उपलब्धियों को सहेजकर कदम आगे बढ़ाए हैं। अब वर्ष 2025 तक सशक्त उत्तराखंड बनाने के नए लक्ष्य को लेकर भी पूरी तरह स्पष्टता है। यद्यपि, अर्थव्यवस्था के चमकदार आंकड़ों के पीछे सामाजिक-आर्थिक विषमता की बड़ी खाई को पाटने की चुनौती है।

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