Uttarakhand

उत्तरकाशी: तकनीक के साथ आस्था का सहारा, टनल के बाहर स्थापित किया बौखनाग देवता का मंदिर

सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को शनिवार को सातवें दिन भी बाहर नहीं निकाला जा सका। रेस्क्यू का आज आठवां दिन है। अंदर फंसे श्रमिकों का धैर्य भी अब जवाब दे रहा है। बोले कि तुम काम कर भी रहे हो रहे है या झूठ बोल रहे हो।  रेस्क्यू के दौरान सुरंग में कंपन और मलबा गिरने के खतरे पर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद कर दी गई है। अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है। उधर, बैकअप के तौर पर इंदौर से मंगवाई गई एक और ऑगर मशीन शुक्रवार देर रात जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंची और शनिवार दोपहर तीन ट्रकों से मशीनों को सिलक्यारा साइट पर पहुंचा दिया गया। 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा से पोल गांव जाने वाली सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंसे हैं।

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए तकनीक के साथ आस्था का भी सहारा लिया जा रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों के दबाव पर अब कंपनी प्रबंधन ने सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया है। पहले इस मंदिर को हटाकर सुरंग के अंदर कोने में स्थापित किया गया था। शनिवार को यहां पुजारी को बुलाकर विशेष पूजा-पाठ भी करवाया गया।  सिलक्यारा क्षेत्र में बाबा बौखनाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रवीन जयाड़ा, धनपाल सिंह आदि का कहना है कि कंपनी ने जब सुरंग का निर्माण शुरू किया तो सुरंग के पास बाबा बौखनाग का मंदिर स्थापित करने की बात कही थी, लेकिन बाद में ऐसा नहीं किया। ग्रामीणों का मानना है कि देवता की नाराजगी से ही हादसा हुआ है।

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अब विदेशी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। शनिवार को इंजीनियरिंग विशेषज्ञ अरमांडो कैपेलन और माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर भी बचाव कार्य में मदद के लिए मौके पर पहुंच गए हैं। पांच योजनाओं पर आज केंद्र और राज्य की छह टीम शुरू करेगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल, पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव महमूद अहमद और भूविज्ञानी वरुण अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और मैराथन बैठक की। भास्कर खुल्बे ने मीडिया को बताया कि अब पांच प्लान पर एक साथ काम शुरू होगा। इसमें राज्य व केंद्र की छह एजेंसियां मिलकर काम करेंगी। इन पांच प्लान में सुरंग के सिलक्यारा छोर, बड़कोट छोर और सुरंग के ऊपर तथा दाएं और बाएं से ड्रिलिंग कर रास्ता तैयार किया जाएगा। जिससे अंदर फंसे सभी मजदूरों को बचाया जा सके।

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